Farmer’s news: जहां जली पराली! वहां पहुंचेगी पुलिस, किसान हो जाए सावधान, लगेगा इतना मोटा जुर्माना
वायु गुणवत्ता प्रबंधन अधिनियम 2021 की धारा 14(2) के तहत, सीएक्यूएम ने पराली जलाने की घटनाओं को पूरी तरह से रोकने का लक्ष्य रखा है।
Farmer’s news: जहां जली पराली! वहां पहुंचेगी पुलिस, किसान हो जाए सावधान, लगेगा इतना मोटा जुर्माना
पराली जलाने की समस्या से निपटने के लिए वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) ने दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश और राजस्थान के जिला अधिकारियों को विशेष अधिकार दिए हैं। यह फैसला सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद लिया गया है, जिसमें किसानों को पराली जलाने पर अब कानूनी कार्रवाई के साथ-साथ जेल की सज़ा का भी सामना करना पड़ सकता है।
सीएक्यूएम का सख्त कदम
वायु गुणवत्ता प्रबंधन अधिनियम 2021 की धारा 14(2) के तहत, सीएक्यूएम ने पराली जलाने की घटनाओं को पूरी तरह से रोकने का लक्ष्य रखा है। जिला अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि पराली जलाने की किसी भी घटना की जानकारी मिलने पर तुरंत एफआईआर दर्ज कर दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए।
कार्रवाई में लापरवाही पर अधिकारियों पर भी होगी सख्ती
अगर अधिकारी इस दिशा में लापरवाही बरतते हैं तो उनके खिलाफ भी सख्त कार्रवाई की जाएगी। जिला उपायुक्त, कलेक्टर और मजिस्ट्रेट को सुनिश्चित करना होगा कि हर जिले में पराली जलाने की घटनाओं पर पूर्ण नियंत्रण हो।
पराली जलाने की घटनाओं मे आई तेजी
हालांकि अभी राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में साफ हवा मिल रही है, लेकिन हाल की रिपोर्ट्स के अनुसार पराली जलाने की घटनाओं में तेजी आई है। 15 सितंबर से 10 अक्टूबर तक पांच राज्यों में 772 पराली जलाने की घटनाएं दर्ज की गईं हैं।
इन घटनाओं का बढ़ना वायु प्रदूषण में वृद्धि का संकेत है, जिससे आने वाले दिनों में एनसीआर में वायु गुणवत्ता गंभीर रूप से प्रभावित हो सकती है।
एनसीआर के निवासियों को फिर से झेलनी होगी प्रदूषित हवा
हर साल पराली जलाने के कारण दिल्ली और उसके आसपास के क्षेत्रों में वायु प्रदूषण का स्तर खतरनाक हो जाता है। पराली जलाने से निकलने वाला धुआं हवा में मिलकर वायु गुणवत्ता को खराब कर देता है, जिससे स्वास्थ्य समस्याएं बढ़ती हैं।
समाधान के लिए उठाए जा रहे कदम
राज्य सरकारें किसानों को पराली न जलाने के लिए जागरूक कर रही हैं और उन्हें वैकल्पिक उपाय जैसे- मशीनरी उपलब्ध करा रही हैं। लेकिन इसके बावजूद भी पराली जलाने की घटनाओं में कमी नहीं आ रही है।